नवरात्र हिन्दुओं का विशेष पर्व है. इस पावन अवसर पर मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है. इसलिए यह पर्व नौ दिनों तक मनाया जाता है. वेद-पुराणों में मां दुर्गा को शक्ति का रूप माना गया है जो असुरों से इस संसार की रक्षा करती हैं. नवरात्र के समय मां के भक्त उनसे अपने सुखी जीवन और समृद्धि की कामना करते हैं. नवरात्र एक साल में चार बार मनाई जाती है. इस अवसर पर देश के कई हिस्सों में मेलों और धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है||
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन नौ दिनों में व्रत, दान, पूजा इत्यादि करने से भक्तों को बहुत शुभ फल प्राप्त होता है और उनपर मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है। बता दें कि इस वर्ष मां दुर्गा एक विशेष वाहन पर सवार होकर अपने भक्तों के घर पधार रही हैं। वह वाहन है हाथी। यही कारण है कि इस वर्ष की नवरात्रि (Durga Puja 2022) को बहुत ही शुभ माना जा रहा है। प्रत्येक वर्ष माता किसी न किसी वाहन पर सवार होकर पधारती हैं। इस वर्ष उन्होंने हाथी को चुना है। आइए जानते हैं क्या है उनके इस विशेष वाहन का महत्व और क्यों माना जा रहा है इसे खास।
शास्त्रों के अनुसार जब भी शारदीय नवरात्रि रविवार अथवा सोमवार से शुरू होता है मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। इस बात नवरात्रि सोमवार से शुरू हो रहा है। बता दें कि धार्मिक दृष्टिकोण से हाथी को बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब भी ऐसा होता है तो भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि कई गुना बढ़ जाती है। इसके साथ हाथी को ज्ञान का प्रतीक भी माना जाता है जिस वजह से भी इसे और भी शुभ माना जाता है।
नवरात्रि का शुभ योग मुहूर्त (Navratri 2022 Shubh yog)
आश्विन नवरात्रि सोमवार, सितम्बर 26, 2022
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 26, 2022 को सुबह 03 बजकर 23 मिनट से शुरू
प्रतिपदा तिथि समाप्त - सितम्बर 27, 2022 को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर खत्म
नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त (Navratri 2022 ghatsthapna)
आश्विन घटस्थापना सोमवार, सितम्बर 26, 2022 को
घटस्थापना मुहूर्त - सुबह 06 बजकर 28 मिनट से 08 बजकर 01 मिनट तक
अवधि - 01 घण्टा 33 मिनट्स
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त- शाम 12 बजकर 06 मिनट से शाम 12 बजकर 54 मिनट तक
नवरात्रि की तिथि (Navratri 2022 Date)
प्रतिपदा (मां शैलपुत्री): 26 सितम्बर 2022
द्वितीया (मां ब्रह्मचारिणी): 27 सितम्बर 2022
तृतीया (मां चंद्रघंटा): 28 सितम्बर 2022
चतुर्थी (मां कुष्मांडा): 29 सितम्बर 2022
पंचमी (मां स्कंदमाता): 30 सितम्बर 2022
षष्ठी (मां कात्यायनी): 01 अक्टूबर 2022
सप्तमी (मां कालरात्रि): 02 अक्टूबर 2022
अष्टमी (मां महागौरी): 03 अक्टूबर 2022
नवमी (मां सिद्धिदात्री): 04 अक्टूबर 2022
दशमी (मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन): 5 अक्टूबर 2022
नवरात्रि पूजा विधि (Navratri 2022 pujan vidhi)
सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें. ऊपर दी गई पूजा सामग्री को एकत्रित करें. पूजा की थाल सजाएं. मां दुर्गा की प्रतिमा को लाल रंग के वस्त्र में रखें. मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं और नवमी तक प्रति दिन पानी का छिड़काव करें. पूर्ण विधि के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश को स्थापित करें. इसमें पहले कलश को गंगा जल से भरें, उसके मुख पर आम की पत्तियाँ लगाएं और ऊपर नारियल रखें. कलश को लाल कपड़े से लपेटें और कलावा के माध्यम से उसे बांधें. अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें. फूल, कपूर, अगरबत्ती, ज्योत के साथ पंचोपचार पूजा करें. नौ दिनों तक मां दुर्गा से संबंधित मंत्र का जाप करें और माता का स्वागत कर उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें. अष्टमी या नवमी को दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें तरह-तरह के व्यंजनों (पूड़ी, चना, हलवा) का भोग लगाएं. आखिरी दिन दुर्गा के पूजा के बाद घट विसर्जन करें इसमें मां की आरती गाए, उन्हें फूल, चावल चढ़ाएं और बेदी से कलश को उठाएं||
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